**शाम का वक्त था, जयपुर का यह छोटा सा पार्क अपने आप में एक कहानी छुपाए बैठा था। सूरज धीरे-धीरे डूब रहा था, आसमान पर नारंगी और गुलाबी रंग बिखर रहे थे, और ठंडी हवा पेड़ों के पत्तों को हल्का सा सरसा रही थी। मैं, अंजली, कॉलेज से थककर निकली थी, अपनी सहेली रिया के साथ। मेरा बैग कंधे पर लटका था, और दुपट्टा हवा में थोड़ा सा उड़ान भर रहा था। रिया मुझसे कहती है, "अंजली, चल ना, पार्क में थोड़ी देर बैठते हैं, घर जाने की जल्दी क्या है?" मैं हंसती हूँ, "ठीक है, रिया, थोड़ी सी हवा खाके थकान छोड़ आती हूँ।"**
हम दोनों पार्क की एक बेंच पर बैठते हैं। रिया मुझे एक पुराना वाकया सुनाती है—कॉलेज में एक लड़के के पीछे छुपकर हंसने की बात—और मैं जोर से हंस पड़ती हूँ। मेरी आवाज़ हवा में गूंजती है, और शायद थोड़ी दूर तक जाती है। तभी मेरी नज़र पेड़ के पास खड़े एक लड़के पर पड़ती है—तुम, रॉकी। तुम एक कैज़ुअल सी नीली शर्ट पहने हो, बाल थोड़े बिखरे हुए, और हाथों को जेब में डाले खड़े हो। तुम्हारी आँखें थोड़ी शरारती, थोड़ी गहरी, एक पल के लिए मेरी तरफ मुड़ती हैं, और मुझे लगता है जैसे दिल ने एक छोटी सी छलांग लगा दी।
**रॉकी, मैं वहाँ पेड़ के पास खड़ा था, अपने दोस्त समीर का इंतज़ार कर रहा था। समीर ने मेरी बाइक ली थी एक छोटे से काम के लिए, और बोला था, "रॉकी, 15 मिनट में आता हूँ।" पर आधा घंटा बीत गया, और मैं पार्क में उसका वेट कर रहा था। तभी तुम्हारी हंसी मेरी तरफ आती है—वो मीठी, चुलबुली हंसी—और मैं तुम्हें देखता हूँ, अंजली। तुम बेंच पर बैठी हो, रिया के साथ, और तुम्हारा दुपट्टा हवा में उड़ रहा है। मैं मन ही मन सोचता हूँ, "ये लड़की... इसकी हंसी में कुछ तो अलग है। लगता है शाम अब और सुंदर होने वाली है।"**
मैं थोड़ी देर तुम्हें देखता हूँ, और फिर तुम्हारी नज़र मुझसे मिलती है। तुम चुपके से मुझे देखती हो, और मैं एक हल्की सी स्माइल देता हूँ—थोड़ी सी शरारत के साथ। तुम अपनी सहेली से बात करते हुए भी मुझे नोटिस करती हो, और मुझे लगता है जैसे ये पल कुछ कहना चाहता है।
**अंजली, मैं रिया से कहती हूँ, "देख, वो लड़का कितना अजीब है ना, बस पेड़ के पास खड़ा है जैसे कोई हीरो हो।" रिया हंस पड़ती है, "अरे अंजली, तू भी ना, हर चीज़ में फिल्मी एंगल ढूंढती है!" पर मैं तुम्हें चुपके से देखती हूँ, और एक पल के लिए मुझे लगता है तुमने भी मुझे देखा। तुम्हारा चेहरा थोड़ा सा मुड़ता है, और वो हल्की सी स्माइल मुझे थोड़ी सी बेचैन कर जाती है।**
**रॉकी, मैं सोचता हूँ, "अब थोड़ी सी हिम्मत करनी चाहिए।" मैं जेब से हाथ निकाल देता हूँ, अपने बालों को हल्का सा एडजस्ट करता हूँ, और तुम्हारी तरफ चलना शुरू करता हूँ। पार्क में लोग अपने-अपने में मस्त हैं—कोई चाय पी रहा है, कोई बातें कर रहा है—पर मेरा ध्यान सिर्फ तुम पर है। मैं तुम्हारी बेंच के पास आता हूँ, और कहता हूँ, "शाम बड़ी सुंदर है, पर लगता है यहाँ बैठने वाले उससे भी ज़्यादा खूबसूरत हैं।" ये मेरी पहली बात है तुमसे—थोड़ी सी छेड़छाड़ वाली, पर दिल से निकली हुई।**
**अंजली, जब तुम ये कहती हो, मेरा दिल थोड़ा सा धड़क जाता है। रिया मेरी तरफ देखती है, और चुपके से मुस्कुराकर कहती है, "अंजली, ये तो तेरा चांस है!" मैं थोड़ा सा शर्मा जाती हूँ, पर आँखें उठाकर तुम्हें देखती हूँ और कहती हूँ, "हाँ, शाम तो सुंदर है, पर शायद यहाँ खड़े होने वाले भी कुछ कम नहीं।" मेरी आवाज़ में थोड़ी सी शरारत है, पर अंदर से मैं सोच रही हूँ—ये लड़का कौन है, और ये दिल क्यों इतना बेचैन हो रहा है?**
**रॉकी, मैं तुम्हारा जवाब सुनता हूँ, और दिल में एक छोटी सी खुशी सी होती है। मैं एक कदम और करीब आता हूँ, और कहता हूँ, "लगता है हम दोनों को ये शाम पसंद है। वैसे, मैं रॉकी हूँ, और तुम...?" मैं तुम्हारा नाम जानना चाहता हूँ, और साथ ही तुम्हारे चेहरे पर वो हल्की सी लाली देखना चाहता हूँ।**
**अंजली, जब तुम अपना नाम पूछते हो, मैं एक पल के लिए रुकती हूँ। रिया मुझे छेड़ती है, "अरे अंजली, बता दे ना, कितना सस्पेंस बनाएगी!" मैं हंस पड़ती हूँ, और फिर तुम्हारी आँखों में देखते हुए कहती हूँ, "मैं अंजली हूँ। और हाँ, शाम सच में दिलकश है... अब शायद थोड़ी और भी।" मेरी बात में एक छोटा सा इशारा है—तुम्हारे आने से ये पल और खास बन गया है।**
**पर तभी रिया बोल पड़ती है, "अंजली, चल ना, मम्मी ने बोला था आज जल्दी आना, एक पार्सल आने वाला है घर पे।" मैं थोड़ी सी उदास हो जाती हूँ—अभी तो बात शुरू हुई थी। मैं तुमसे कहती हूँ, "रॉकी, मुझे लगता है अभी जाना पड़ेगा... पर शाम सच में अच्छी थी।" तुम कहते हो, "कोई बात नहीं, अंजली, शाम तो रोज़ आती है, हम फिर मिलेंगे।" तुम्हारी आवाज़ में एक वादा सा है, और मैं उसे दिल में लेकर रिया के साथ निकल जाती हूँ। एक बार मुड़कर तुम्हें देखती हूँ—तुम वहीं खड़े हो, मुझे देखते हुए।**
**रॉकी, मैं तुम्हें जाते हुए देखता हूँ, और दिल में एक छोटी सी चुभन होती है। मैं सोचता हूँ, "अभी तो बात शुरू हुई थी, और ये चली गई। पर ये अंजली... कुछ तो अलग है इसमें।" मैं वहाँ थोड़ी देर और खड़ा रहता हूँ, और फिर बाइक उठाकर घर जाता हूँ, पर तुम्हारा नाम मेरे दिल में घूमता रहता है।**